Lyrics
(Verse 1)
खाली पन्नों पे लिखी ये दास्तान है मेरी,
हर खुशी पीछे छूटी, जैसे कोई कसमें टूटी।
जिन्हें कहा था अपना, वो साये हो गए दूर,
बिन बताए गए चले, गया टूटा हर दूर।
(Chorus)
आंसूओं की स्याही से, जब भी मैंने लिखा,
दर्द बना साथी, हर पल ये दिल गया रिक्था।
ख्वाब बिखरे पाँव तले, कैसे चुनूं टूटे हुए शीशे,
जब खुदा ने भी मुझसे, मेरा नसीबा छीना।
(Verse 2)
हर रात अंधेरे में, मैं बातें करूँ चाँद से,
यादों की बारिश में, बस तन्हाई का हाथ थामे।
गलियां सुनसान, दिल का हर कोना उजाड़,
बिन तेरे ये जहां, बस इक बेमानी बजार।
(Chorus)
आंसूओं की स्याही से, जब भी मैंने लिखा,
दर्द बना साथी, हर पल ये दिल गया रिक्था।
ख्वाब बिखरे पाँव तले, कैसे चुनूं टूटे हुए शीशे,
जब खुदा ने भी मुझसे, मेरा नसीबा छीना।
(Bridge)
टूटी हुई बोतलों का, शोर भी है कम,
सन्नाटे भी रोते हैं, मेरे गम में शामिल।
मैंने सोचा न था, जिंदगी यूँ ले लेगी इम्तिहान,
छोड़ गया वो मुझे, जिसने कहा था बनूँगा अरमान।
(Chorus)
आंसूओं की स्याही से, जब भी मैंने लिखा,
दर्द बना साथी, हर पल ये दिल गया रिक्था।
ख्वाब बिखरे पाँव तले, कैसे चुनूं टूटे हुए शीशे,
जब खुदा ने भी मुझसे, मेरा नसीबा छीना।
(Outro)
खाली हाथ ये ज़िंदगी, फिर से क्या देगी?
सवाल अनगिनत, जवाब खोजता फिरूँ मैं बेगी।
रातों की ये स्याही, जैसे मेरी रूह को ढके,
जिसे कहा था अपना, वो तो कब का बिके।
(Verse 1)
खाली पन्नों पे लिखी ये दास्तान है मेरी,
हर खुशी पीछे छूटी, जैसे कोई कसमें टूटी।
जिन्हें कहा था अपना, वो साये हो गए दूर,
बिन बताए गए चले, गया टूटा हर दूर।
(Chorus)
आंसूओं की स्याही से, जब भी मैंने लिखा,
दर्द बना साथी, हर पल ये दिल गया रिक्था।
ख्वाब बिखरे पाँव तले, कैसे चुनूं टूटे हुए शीशे,
जब खुदा ने भी मुझसे, मेरा नसीबा छीना।
(Verse 2)
हर रात अंधेरे में, मैं बातें करूँ चाँद से,
यादों की बारिश में, बस तन्हाई का हाथ थामे।
गलियां सुनसान, दिल का हर कोना उजाड़,
बिन तेरे ये जहां, बस इक बेमानी बजार।
(Chorus)
आंसूओं की स्याही से, जब भी मैंने लिखा,
दर्द बना साथी, हर पल ये दिल गया रिक्था।
ख्वाब बिखरे पाँव तले, कैसे चुनूं टूटे हुए शीशे,
जब खुदा ने भी मुझसे, मेरा नसीबा छीना।
(Bridge)
टूटी हुई बोतलों का, शोर भी है कम,
सन्नाटे भी रोते हैं, मेरे गम में शामिल।
मैंने सोचा न था, जिंदगी यूँ ले लेगी इम्तिहान,
छोड़ गया वो मुझे, जिसने कहा था बनूँगा अरमान।
(Chorus)
आंसूओं की स्याही से, जब भी मैंने लिखा,
दर्द बना साथी, हर पल ये दिल गया रिक्था।
ख्वाब बिखरे पाँव तले, कैसे चुनूं टूटे हुए शीशे,
जब खुदा ने भी मुझसे, मेरा नसीबा छीना।
(Outro)
खाली हाथ ये ज़िंदगी, फिर से क्या देगी?
सवाल अनगिनत, जवाब खोजता फिरूँ मैं बेगी।
रातों की ये स्याही, जैसे मेरी रूह को ढके,
जिसे कहा था अपना, वो तो कब का बिके।