
Rangon Ki Bauchhar (रंगों की बौछार)
a blend of traditional instruments like the Irish bodhrán, Flute, Sitar and the American banjo
April 25th, 2024suno
Lyrics
[Intro]
[Verse 1]
कश्मीर की वादियों में, जब चिनार लाल हो जाते हैं,
शाम का समां, धुंधला सा, खुमारी छा जाती है।
हिमाचल के पहाड़ों पर, पीले पत्ते गिरते हैं,
हवा में ठंडक, प्रकृति का नया जादू बुनते हैं।
[Chorus]
ओ रंगों की बौछार, भारत के हर कोने में,
शरद की एक सुंदर सौगात, मन को यह मोह लेती है।
पीला, लाल, नारंगी, बसंत से पहले की बात,
अपनी इस धरती की, प्यारी शरद रात।
[Verse 2]
मैसूर के बागों में, जब गुलमोहर शरमाते हैं,
आसमान छूने लगते हैं, गिरते पत्तों के नजारे हैं।
राजस्थान की धूल में, ठंडी हवा जब चल निकले,
मरुस्थल में भी जैसे, जीवन के रंग खिले।
[Chorus]
ओ रंगों की बौछार, भारत के हर कोने में,
शरद की एक सुंदर सौगात, मन को यह मोह लेती है।
पीला, लाल, नारंगी, बसंत से पहले की बात,
अपनी इस धरती की, प्यारी शरद रात।
[Verse 3]
बंगाल की खाड़ी से, लहरों का नया संगीत,
शांति की आवाज़ में, खो जाते हैं प्रीत।
उत्तर पूर्व के जंगल, ओस से भीगे हुए,
रंगों का यह मेला, दिल को दे जाता है छुए।
[Instrumental Break]
(A 2-minute section featuring an elaborate instrumental solo that weaves together the sounds of traditional Indian instruments like the veena and the sarod, reflecting the diverse landscapes and cultures of India.)
[Verse 4]
केरल की हरियाली में, जब मॉनसून की रिमझिम,
पत्ते हरे से थोड़े पीले, नज़ारे अपने सिमटिम।
ओडिशा के तट पर, नई उम्मीदें बहती हैं,
शरद की ये हवाएं, जीवन में ताजगी लाती हैं।
[Chorus]
ओ रंगों की बौछार, भारत के हर कोने में,
शरद की एक सुंदर सौगात, मन को यह मोह लेती है।
पीला, लाल, नारंगी, बसंत से पहले की बात,
अपनी इस धरती की, प्यारी शरद रात।
[Chorus]
ओ रंगों की बौछार, भारत के हर कोने में,
शरद की एक सुंदर सौगात, मन को यह मोह लेती है।
पीला, लाल, नारंगी, बसंत से पहले की बात,
अपनी इस धरती की, प्यारी शरद रात।
[Outro Verse]
समय के साथ ये रंग, सबकुछ बदल जाते हैं,
पर हर साल ये खूबसूरती, हमें फिर से मिल जाती है।
शरद की ये बेला, सभी को नज़दीक लाती है,
रंगों की ये बारिश, जीवन में खुशियाँ बरसाती है।
[Final Chorus]
ओ रंगों की बौछार, भारत के हर कोने में,
शरद की एक सुंदर सौगात, मन को यह मोह लेती है।
पीला, लाल, नारंगी, बसंत से पहले की बात,
अपनी इस धरती की, प्यारी शरद रात।
[Outro Verse]
समय के साथ ये रंग, सबकुछ बदल जाते हैं,
पर हर साल ये खूबसूरती, हमें फिर से मिल जाती है।
शरद की ये बेला, सभी को नज़दीक लाती है,
रंगों की ये बारिश, जीवन में खुशियाँ बरसाती है।
[Final Chorus]
ओ रंगों की बौछार, भारत के हर कोने में,
शरद की एक सुंदर सौगात, मन को यह मोह लेती है।
पीला, लाल, नारंगी, बसंत से पहले की बात,
अपनी इस धरती की, प्यारी शरद रात।
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